C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का परिचय

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C Language का अविष्कार 1972 में Dennis Ritchie ने Bell Telephone laboratories में प्रमुख रूप से एक System Programming Language के रूप में किया था। System Programming Language का तात्पर्य एक ऐसे Language से है, जिसका प्रयोग Operating Systems का कोड लिखने में किया जाता है। C का अविष्कार करने के पीछे Ritchie का प्रमुख उद्देश्य एक ऐसा Programming Language प्रदान करना था, जो Compile करने में आसान हो, जिसे बेहतर तरीके से Memory Access करने की इज़ाजत हो, जो बेहतर Code देता हो और जिसे Run-Time-Support की बहुत ज्यादा ज़रूरत ना पड़े।

C जैसे High-Level-Language की Designing जहाँ एक Low-Level-Language की तरह की गयी थी, वहीँ दूसरी ओर इसने Platform Independent Programming को भी काफी बढ़ावा दिया । C 1973 में इतना उपयोगी और लचीला साबित हुआ, कि Ritchie और Ken Thompson ने UNIX Operating System का एक बहुत बड़ा हिस्सा फिर से C Language में लिख डाला। इससे पहले के Operating Systems Assembly Language में लिखे जाते थे । Assembly, जो किसी Program को एक ही CPU में बाँध देता है, से अलग C की ज़बरदस्त Portability क्षमता ने UNIX को अलग-अलग प्रकार के Computers में दोबारा Compile किये जाने की अनुमति दी, वो भी Assembly की Speed से । कहा जा सकता है की C और Unix का भाग्य एक दुसरे से जुड़ा है।

UNIX का एक Operating System के रूप में सफल होने का कारण कही न कही C की बेजोड़ सफलता ही रही है ।1978 में, Brian Kernighan और Dennis Ritchie ने “The C Programming Language” नाम के एक किताब का प्रकाशन किया । इस किताब ने, जो की K&R (इसके Authors के Last Name के आधार पर) के नाम से भी जाना जाता था, Language की विशेषताओं का एक अनौपचारिक परिचय दिया और साथ ही साथ C के लिए एक Standard की तरह बन गया। जब Portability की अत्यधिक ज़रूरत होती थी, Programmers K&R के Recommendation को अपनाते थे, क्यूंकि ज्यादातर Compilers उस वक़्त K&R Standards पर ही आधारित थें ।1983 में, American National Standards Institute (ANSI) ने C का औपचारिक Standard पेश करने के लिए एक Committee का गठन किया। 1989 में (Committees को कोई भी काम करने में काफी लम्बा समय लगता है), Committee ने अपना काम ख़त्म कर C89 Standard Launch किया, जो आज ANSI C के नाम से जाना जाता है । सन 1990 में, International Organization for Standardization ने ANSI C को पर कुछ Modifications के साथ अपना लिया । C का ये Version C90 के रूप में जाना जाने लगा। Compilers ANSI C/C90 पर बनने लगे, और Programs जिन्हें Maximum Portability की ज़रूरत थी, उनकी Coding इसी Standard के आधार पर की जाने लगी । सन 1999 के दौरान, ANSI Committee ने C का एक नया Standard, C99 Launch किया । इसमे कई नए Features जोड़े गए, जिन्हें या तो Compilers ने पहले से ही Extension के रूप में अपना लिया था, या फिर जिनका C++ में Implementation हो चूका था।

History of C language

C programming language को सन् 1972 में AT & T Bell Laboratory में Dennis Ritchie के द्वारा UNIX Operating system को design करने के लिए develop किया गया था। यह Bell Laboratory U.S.A. में स्थित है। यह programming language को B, BCPL जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में होने वाले प्रॉब्लम को दूर करने के लिए develop किया गया। चलिए हमलोग programming language के development year के list को देखते हैं। जो की C language से पहले develop किया गया था और C language के बाद कुछ developed language के lists:

LanguageYearDeveloped By
Algol1960International Group
BCPL1967Martin Richard
B1970Ken Thompson
Traditional C1972Dennis Ritchie
K & R C1978Kernighan & Dennis Ritchie
ANSI C1989ANSI Committee
ANSI / ISO C1990ISO Committee
C991999Standardization Committee

C Programming Language के गुण

C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के ढेर सारे गुण मौजूद हैं जिसमें से हम कुछ गुण को यहाँ पर mention कर रहे हैं|

  • Easy to learn : C programming language के syntax बहुत ही आसान है और बहुत ही साफ साफ syntax होते हैं जिससे इस language को सीखना बहुत ही आसान हो जाता है जैसे एक छोटे से बच्चे को alphabets (A – Z) one by one करके सिखाया जाता है ताकि वो आगे चलके एक string या word बना सके ठीक उसी प्रकार इस programming language में भी हर छोटे से छोटे और आसान words का उपयोग किया गया है जिससे नए लोगो को सिखने में आसानी हो।
  • यह एक robust (मजबूत) language है क्योंकि इसमें बहुत सारे in-built function और operators होते हैं जो की किसी भी बड़े से बड़े (complex) program को लिखने में आसान सा तरीका provide करते हैं।
  • यह एक portable language है मतलब की इस programming language में लिखे गए कोड को आप आसानी से किसी दुसरे मशीन में भी बिना किसी change के run करा सकते हैं।
  • इस language के सबसे main features extending features है मतलब की यह programming language का इस्तेमाल करके आगे बहुत सारे programming language बनाये जा चुके हैं।
  • एक C program बहुत सारे functions के collection से बने होते हैं जो की C library के द्वारा supported होते हैं| इसमें आप खुद का भी library बना सकते हैं यानि की user define library भी create कर सकते हैं।
  • C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला प्रोग्रामिंग लैंग्वेज हैं । Operating system को develop करने के लिए generally C language का ही उपयोग किया जाता है।

C language के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • C language का आविष्कार UNIX operating system को develop करने के लिए हुआ था।
  • यह language आज सबसे ज्यादा popular programming language है।
  • यह language B language का successor है।
  • जितने भी software बनते हैं उनमे C लैंग्वेज का concept इस्तेमाल होता है।
  • UNIX operating system totally C programming language में लिखा गया है।
  • लगभग सभी programming language को develop करने के लिए C language का सहारा लिया गया है मतलब की सभी programming language C programming language के syntax को inherit किये हैं।
  • Linux OS और RDBMS MYSQL C language में लिखे गए हैं।
  • C low level language और high level language दोनों के ही features को include करता है इसलिए इसे Middle Level Language कहा जाता है।

    C language सबसे basic language है| अगर आप computer के programming field में enter करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको C language सीखना पड़ेगा| अगर आप बिना C language को सीखे दुसरे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखते हैं तो वो थोडा सा आपके लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि जिस प्रकार एक बच्चा alphabets के एक एक character को सीखे बिना words नहीं बना सकता उसी प्रकार आप बिना C Language को सीखे आगे की programming लैंग्वेज अच्छे तरीके से नहीं सिख सकते हैं। अब बात आती है की कुछ लोग कहते हैं की तुम बिना C language को सीखे दुसरे लैंग्वेज को सिख सकते हो तो आप खुद ही इस बात से अंदाजा लगा सकते हो की जिस प्रकार एक uneducated person कुछ बोल सकता है यानि की बिना पढ़े वो भी बोल सकता है और जो पढ़ा हुआ इन्सान है वो भी बोल सकता है बस दोनों में फर्क इतना ही है की एक इन्सान हरेक situation के हिसाब से अलग अलग तरीका में बोल सकता है जबकि अनपढ़ इन्सान एक ही तरीका से हमेशा बात कर सकता है।